The Train... beings death 4
उस स्टेशन पर रुकते ही गाड़ी के पास से कुछ धम ऽऽ धमऽऽ की आवाजें दूर से नजदीक आती हुई महसूस हुई। उन आवाजों के कारण वैसे ही गाड़ी के अंदर के सभी जीवों की सांसे ऊपर नीचे हो गई थी।
आवाज से ही वह प्राणी कुछ अजीब प्रतीत हो रहा था। धीरे-धीरे उस प्राणी ने ट्रेन में अपना पहला कदम रखा.. उस पहले कदम के रखे जाते ही... ट्रेन एक बार को पूरी की पूरी एक तरफ झुक गई। उसी तरफ.. जिस तरफ चिंकी कोने में चिपकी हुई बैठी थी।
वह तीनों डायनासोर जैसे दिखने वाले जीव तुरंत ही धुआं बनकर गायब हो गए थे। उनके गायब होने पर चिंकी ने ठीक से राहत की सांस भी नहीं ली थी.. कि उस अजीब जीव के एक कदम रखते ही ट्रेन पूरी एक तरफ झुक गई थी.. ऐसा लगा की एक ही पल में ट्रेन पलट ही जाएगी। तभी उस जीव ने अपना दूसरा कदम भी ट्रेन के अंदर रख दिया। जिसके कारण एक जोरदार धम्मऽऽऽऽ की आवाज हुई और ट्रेन वापस सीधी हो गई।
वह जीव धीरे-धीरे ट्रेन में यहां-वहां घूम कर वहां के हालात का जायजा लेने लगा.. वह आसपास ऐसे देख रहा था.. जैसे कोई सुपरवाइजर अपने अंंडर काम करने वाले कर्मचारियों पर नजर रखता है।
थोड़ी ही देर में वह जीव चिंकी के सामने था.. चिंकी और प्रिया दोनों की आंखे उसे देख कर फटी की फटी रह गई। उनकी आंखें इतनी बड़ी दिखाई दे रही थी जैसे अभी ही बाहर निकल कर गिर पड़ेंगी।
वह नीले रंग का एक बोना सा.. भारी भरकम जीव था। जिसके दो पैर थे बिल्कुल एक बंदर के जैसे..मगरमच्छ के जैसी एक लंबी सी पूंछ.. कमर की जगह पर उसके तीन सिर थे.. और सर के ऊपर उसका धड़ जो कि गर्दन तक किसी घोड़े जैसा था। गर्दन से दो एंटीना जैसे निकले हुए थे.. शायद उसकी आसपास के माहौल में शायद उसकी सुरक्षा के लिए थे। हाथ चार थे.. जो चारों दिशाओं में एक-एक था.. जो उसे कहीं भी चिपक कर ऊपर चढ़ने में मदद करने के लिए थे। उसके तीनों सर जलीय जीव अष्टभुज के जैसे थे.. उसके हर सिर पर एक आंख एक लंबी सी तीखी तलवार जैसी नाक थी। उसके धड़ के ऊपर जहां वह एंटीना निकले हुए थे... वहां पर एक बड़ा सा दांतो से भरा हुआ मुंह था। पर दांत इतने सारे जैसे के दांतो का गार्डन ही बना हुआ हो।
उस जीव ने एक नजर चिंकी की तरफ डाली और नजर फेर कर आगे निकल गया। चिंकी को उस जीव का अनदेखा करना बहुत ही ज्यादा अजीब लगा।
चिंकी ने प्रिया से डरते डरते पूछा, "प्रिया…! यह क्या था..? क्या तुम इसे जानती हो?? इसने हमें ऐसे अनदेखा किया.. यह परेशान होने वाली बात है या फिर कोई बड़े संकट के आने का संकेत..??"
प्रिया भी उस जीव को देखकर सकते में थी। उसने चिंकी से अजीब सी घबराहट के साथ डांटने वाले स्वर में कहा, "अच्छा हुआ.. जो उसने अनदेखा कर दिया। तुम चाहती थी कि वह तुमको उठा कर खा जाए.. नहीं ना..!! तुम्हें अपने घर सही सलामत जाने की इच्छा नहीं है क्या..??"
चिंकी ने हड़बड़ा कर कहा, "नहीं..!! नहीं..!! घर तो जाना है पर अगर यह अजीब जानवर भी वही गया तो पता नहीं क्या-क्या उत्पात मचाएगा.. और इसके बारे में कुछ जानकारी हुई.. तो शायद मैं किसी की मदद कर पाऊं…!!"
ऐसा कहकर चिंकी ने एक आशा भरी नजर से प्रिया को देखा। प्रिया को पता नहीं उस नजर में क्या दिखाई पड़ा था.. उसने कहा, "अच्छा..! अच्छा.. ठीक है..!! मैं पता करने की कोशिश करती हूं। पर अब की बार तुम से हाथ जोड़कर विनती है.. कि यहां से कहीं मत जाना.. वरना तुमने देखा ही है.. इतने अजीब अजीब जानवर है और दुनिया भर की खतरनाक आत्माएं यही भरी पड़ी है। किसी ना किसी का पेट तो तुम से भर ही जाएगा। अगर तुम ऐसा चाहो तो…??"
चिंकी ने जल्दबाजी में कहा, "नहीं.. नहीं..!! मैं कहीं नहीं जाऊंगी।"
"तो फिर थी ठीक है..!!" ऐसा कहकर प्रिया उस जीव के बारे में जानकारी निकालने के लिए चली गई।
प्रिया के जाते ही थोड़ी देर बाद कुछ आत्माएं उस ट्रेन में घूमती घूमती चिंकी के कंपार्टमेंट में आ गई। जब वह लोग आए थे.. तो किसी भी साधारण मनुष्य की तरह ही दिखाई दे रहे थे। वह पांच लोग थे... दो आदमी, एक औरत और दो छोटे बच्चे। दोनों आदमी किसी एजुकेटेड फैमिली का हिस्सा लग रहे थे। वह औरत बहुत ही ज्यादा फैशनेबल दिख रही थी और बच्चे भी बहुत ही ज्यादा प्यारे और शैतान दिख रहे थे।
जब उन्होंने चिंकी को देखा तो उनके मन में लड्डू फूटने लगे थे.. जो कि उनकी आंखों की चमक से ही पता चल रहा था। वह लोग चिंकी को देखकर उसकी तरफ बढ़ गए। पर जल्दी ही उन्हें वहां नहीं होना चाहिए था... इस बात का आभास हो गया था।
उन लोगों ने चिंकी के सामने की तरफ वाली सीट पर बैठकर आपस में बातचीत और हंसी मजाक करना शुरू कर दिया। बच्चे भी अपनी बाॅल से वहां खेल रहे थे। उन्होंने चिंकी को भी बॉल से खेलने के लिए बुलाने के लिए इशारा किया.. चिंकी के मना करने पर वो लोग वहीं सामने ही खेलने लगे.. एक बच्चे ने बॉल चिंकी की तरफ फेंक दी और चिंकी से उसे वापस फेंकने का इशारा किया। चिंकी ने भी वह बाॅल उठा कर उनकी तरफ फेंक दी।
कुछ देर तक तीनों बच्चे ऐसे ही बॉल को एक एक दूसरे की तरफ उछाल कर खेलने लगे। चिंकी भी यह भूल गई थी कि वह अपने घर के ग्राउंड में नहीं.. बल्कि एक भूतिया ट्रेन में बैठी थी।
बॉल से खेलने वाले बच्चों में चिंकी के अलावा एक लड़का और एक छोटी लड़की थी। लड़के ने एकदम से बॉल छोटी लड़की की तरफ जोर से मार दी. उस छोटी लड़की को बॉल के कारण चोट लगी थी.. और वह नीचे झुक कर रोने लगी।
बड़े लोगों ने लड़के की तरफ देख कर कुछ इशारा किया.. कुछ सेकंडों में वह छोटी लड़की और भी जोर जोर से रोने लगी। उसके रोने पर चिंकी भी उसके पास चली गई।
अभी वह ठीक से उस बच्ची के पास पहुंची भी नहीं थी कि उसे प्रिया की बात याद आ गई और उसने अपने कदम वापस खींच लिए... चिंकी के वापस जाते ही वह सभी बहुत ही तेज गुस्सा करने लगे थे। धीरे धीरे उनका पूरा शरीर डरावना दिखाई देने लगा था।
उन तीनों बड़े लोगों के सर बीच से फटे हुए थे.. आंखें बाहर एक नस के सहारे लटकी हुई थी.. कान तो उनके सिर पर थे ही नहीं और गले में से उनकी केवल हड्डीयां ही दिखाई दे रही थी। धड़ एक आम आदमी जैसा ही था.. पर हाथ और पैर केवल हड्डियां थे और हाथ, पैरों के पंजे.. एकदम जिंदा इंसानों के जैसे सही सलामत थे। दोनों छोटे बच्चों के सिर बिल्कुल ठीक थे.. पर पूरे शरीर पर मांस लटक रहा था। पूरे शरीर पर खून पीने वाले कीड़े रेंग रहे थे.. जिन्हें देखकर बहुत ही अजीब सा घिन भरा अनुभव हो रहा था।
वह लोग अजीब आवाजों में चीख रहे थे.. और बार-बार चिंकी को उनके पास आने के लिए कह रहे थे। उनके कहने का तरीका धमकी भरा और डरावना था। चिंकी को यह बात समझ में आ गई थी कि अगर वह उस जगह को छोड़कर गई तो उसका बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा।
चिंकी ने एक ही रात में कितना कुछ देख लिया था.. जो शायद कोई और बच्चा देख ले.. तो उसका जीवित रहना बहुत ही ज्यादा मुश्किल था। फिर भी चिंकी पता नहीं किसी दिव्य शक्ति के वशीभूत इतना सब कुछ देखने और झेलने के बाद भी सही सलामत थी। चिंकी को भी अब धीरे-धीरे विश्वास हो चला था कि वह सही सलामत अपने परिवार के पास पहुंच जाएगी।
तभी वहां प्रिया भी वहां आ गई.. प्रिया ने उन आत्माओं को वहां से भगाने की का इंतजाम कर दिया था.. और जल्दी ही उन आत्माओं को भगा भी दिया।
चिंकी बहुत ही ज्यादा डरी हुई थी और उसने डर के कारण प्रिया को गले लगा लिया। पिछली बार जब चिंकी ने प्रिया को छूने की कोशिश की थी.. तब वह चिंकी को छू नहीं पाई थी... पर अब की बार चिंकी प्रिया को आसानी से गले लगा पाई। इस बात पर चिंकी और प्रिया दोनों को आश्चर्य हो रहा था.. पर कारण दोनों को ही समझ नहीं आया।
कुछ ही देर में धीरे धीरे चलती हुई ट्रेन फिर से एक अनजान स्टेशन पर रुक गई। उस स्टेशन पर कुछ भी अजीब या रहस्यमय दिखाई नहीं दिया।
पर कहते हैं ना कि.. अगर बहुत कुछ अजीब हो रहा हो.. तो अगर सब कुछ सामान्य दिखे.. तो वह सब कुछ सामान्य नहीं होता... उसका मतलब बहुत ही कुछ भयानक और डरावना होने वाला होता है।
ऐसा ही कुछ होने वाला था.. पर क्या..?? वह तो भविष्य के गर्भ में ही छुपा था.. जो सही समय आने पर ही पता चल सकता था..
क्रमशः…..
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
21-Mar-2022 05:15 PM
ये अजीब सा जीव चिंकी को नजरअंदाज करकर चला तो गया, पर अब कौन सी मुसीबत लेकर फिर लौटेगा, देखते है। इस बार चिंकी, प्रिया को कैसे छू पाई, और भविष्य k गर्भ में और कौन सा खतरा लिखा है, ये भी बड़ा रोमांचक रहेगा।😍😍
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Aalhadini
21-Mar-2022 10:10 PM
धन्यवाद 🙏🏼
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Sana khan
01-Sep-2021 06:01 PM
Sundar kahani hai
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BhaRti YaDav ✍️
30-Jul-2021 10:58 AM
Nice
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